यादों के हैं ये अबीर गुलाल
तेरे वो गीले-सूखे घुंघराले बाल
प्यार कि गुजियों की वो टोकरी
लो आगई सताने फिर से होली
क्या डालनी होगी तड़के आखत
तूने ही भेजी है ना यादों कि आहट
रंगों में रंग भी तो भेजतीं
खुद भी आने कि बात तो करतीं
नहीं है रंगोली इस बार आँगन में
नहीं है तेज़ी इस बार फाल्गुन में
बस एक सन्नाटा सा पसरा है
तेरे अंश को देख, तुझको छूने का मन करता है
कब से बचाये थे टेसू के फूल, भर के झोली
लो आगई सताने फिर से होली
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Image Courtesy : Shadow Chief |
2 comments:
happy holi mein senti kavita!! wah wah!..only u can do this..:)
Thanks vinaya :)
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