अतीत का लेखा जोखा हैं वो लम्हे
यादों का झोंका हैं वो लम्हे
नम आँखों की वजह हैं वो लम्हे
गहरी साँसों कि तरह हैं वो लम्हे
कभी मुस्काते तो कभी कचोटते वो लम्हे
काले सफ़ेद में रंग उभारते वो लम्हे
उन लोगों के एहसानों के हैं वो लम्हे
हाथ से सरकती रेत के हैं वो लम्हे
सपनों का मेल हैं वो लम्हे
समय का निर्दयी खेल हैं वो लम्हे
जाने किस घर के हैं वो लम्हे
जाने किस दुनिया के हैं वो लम्हे
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