सपनों में कब आओगी माँ
कब फिर से बुलाओगी माँ
बहुत दिन बीते आवाज़ सुने
कब फिर से सर सहलाओगी माँ
हर बात को तुम्हारी याद करता हूँ
हर चीज़ में तुमको ढूंढ़ता हूँ
समय तो चलेगा, बदलेगा
कब फिर से मिलने आओगी माँ
जैसे कल कि ही तो बात थी
तुम मेरे साथ थीं
कितना समझातीं थीं फ़ोन पे
अब कब समझाओगी माँ
अरे कुछ तो बोलो
चलो अब ये नाराज़गी छोड़ो
बहुत मन है मिलने का
और कितना सताओगी माँ
अकेली तो तुम भी हो, मानता हूँ
और यहीं कहीं हो, जानता हूँ
बस एक बार आवाज़ देदो
2 comments:
so beautiful!!! Mothers are the dearest creatures on this planet.
Wow beautiful....Could not hold back the tears.... Very well expressed.
Post a Comment