अचंभित हूँ, दूर रह कर भी कितना पास लगती हो
पलके झुका लूं तो वाहन भी तुम ही मिलती हो
जानता हूँ मेरे शब्दों को कभी कभी पढ़ लेती हो
चलो मुझसे न सही मेरे शब्दों से ही मिलती हो
तुम्हारी बातें चेहरे पे एक मीठी सी मुस्कान छोड़ती हैं
लेकिन ये बातें दूरियों कि एक चादर भी ओढ़ती हैं
तुम्हारा चेहरा एक आइने सा लगता है
जिसमे मुझे अपना ही एक सपना दिखता है
माना दुनिया अलग है हम दोनों कि
पर कोशिश तो कर ही सकते हैं एक रहने कि
कोशिश उस दुनिया कि जहाँ आज भी हम मिलते हैं
दूर रह कर भी जहाँ हमारे विचार एक साथ चलते हैं
वो दुनिया न होकर भी कितनी सच्ची लगती है
और ये दुनिया होते हुए भी बिलकुल नकली दिखती है
मिलना क्या है ये समझना होगा, ये दूरियां
जोड़ती हैं या अलग रखती हैं ये भी देखना होगा
दूर रहने से कहाँ डरता हूँ, ये दूरियां
सच न बन जाएँ इस सच से डरता हूँ
जो भी हो फिलहाल ये दुनिया तो मेरी है
एक एहसास है कि तुम हो तो यहीं कहीं हो
पलके झुका लूं तो वाहन भी तुम ही मिलती हो
जानता हूँ मेरे शब्दों को कभी कभी पढ़ लेती हो
चलो मुझसे न सही मेरे शब्दों से ही मिलती हो
तुम्हारी बातें चेहरे पे एक मीठी सी मुस्कान छोड़ती हैं
लेकिन ये बातें दूरियों कि एक चादर भी ओढ़ती हैं
तुम्हारा चेहरा एक आइने सा लगता है
जिसमे मुझे अपना ही एक सपना दिखता है
माना दुनिया अलग है हम दोनों कि
पर कोशिश तो कर ही सकते हैं एक रहने कि
कोशिश उस दुनिया कि जहाँ आज भी हम मिलते हैं
दूर रह कर भी जहाँ हमारे विचार एक साथ चलते हैं
वो दुनिया न होकर भी कितनी सच्ची लगती है
और ये दुनिया होते हुए भी बिलकुल नकली दिखती है
मिलना क्या है ये समझना होगा, ये दूरियां
जोड़ती हैं या अलग रखती हैं ये भी देखना होगा
दूर रहने से कहाँ डरता हूँ, ये दूरियां
सच न बन जाएँ इस सच से डरता हूँ
जो भी हो फिलहाल ये दुनिया तो मेरी है
एक एहसास है कि तुम हो तो यहीं कहीं हो
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Image Courtesy : do_do (http://www.flickr.com/photos/8655928@N07/galleries/72157626001808981 ) |
2 comments:
kaun hain yeh 'tum'? :)
is she reading this??
check mail... :D
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