तेरे शब्द चोरी कर लूं तो कोई हर्ज़ तो नहीं
वो कहानी ही क्या जिसमें तू या तेरे शब्द नहीं
सोचा तेरे ख़याल को पिन कर लूं, एक और
सपना देख तुझे फिर से बाँहों में भर लूं
तेरे चेहरे या नाम से मुझको क्या पाना है
जितना तुझको जाना बस अपना ही माना है
ये पास दूर का फेरा बोहोत तंग करता है
तुझे क्या पता इस कहानी कि तू ही अनामिका है
अनामिका जो मेरे हर ख़याल के लिए एन नाम लायी है
एक मुस्कान, थोड़ी रौशनी और कुछ सपने साथ लायी है
ना कुछ मांगती ना कुछ बोलती बस चुप रहती है
लेकिन हर रात मेरे कान में चुपके से एक ही बात कहती है
शायद वो भी डरती है इस दुनिया से इस दूरी से
इसीलिए केवल हाँथ थामने की बात करती है
क्या मालूम इस सबका अंजाम क्या होगा, बस इतना
पता है मेरी कविता का नाम अनामिका होगा
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Image Courtesy : Ilana McMorran (http://www.seemeeverywhere.com/2010/10/mysterious-girl.html ) |
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