मैं कुछ कुछ भूलता जाता हूँ अब तुझको
तेरा चेहरा भी धुन्द्लाने लगा है अब तखैयुल में
बदलने लग गया है अब वोह सुबह शाम का मामूल
तेरा चेहरा भी धुन्द्लाने लगा है अब तखैयुल में
बदलने लग गया है अब वोह सुबह शाम का मामूल
जिसमे तुझसे मिलने का भी एक मामूल शामिल था
तेरे ख़त आते रहते थे
तो मुझको याद रहते थे तेरे आवाज़ के सुर भी
तेरे आवाज़ को कागज़ पे रखके
मैंने चाह था के पिन करलूं
जिसमे तुझसे मिलने का भी एक मामूल शामिल था
तेरे ख़त आते रहते थे
तो मुझको याद रहते थे तेरे आवाज़ के सुर भी
तेरे आवाज़ को कागज़ पे रखके
मैंने चाह था के पिन करलूं
वोह जैसे तितलियों के पर लगा लेता है कोई अपनी एल्बम में
तेरा "बे" को दवाके बात करना
"वाह" पे होठों का छल्ला गोल होके घूम जाता था
बहुत दिन हो गए देखा नहीं
न ख़त मिला कोई
बहुत दिन हो गए
सच्ची...तेरी आवाज़ की बौछार में भीगा नहीं हूँ मैं
तेरा "बे" को दवाके बात करना
"वाह" पे होठों का छल्ला गोल होके घूम जाता था
बहुत दिन हो गए देखा नहीं
न ख़त मिला कोई
बहुत दिन हो गए
सच्ची...तेरी आवाज़ की बौछार में भीगा नहीं हूँ मैं
मैं कुछ कुछ भूलता जाता हूँ अब तुझको तेरा
चेहरा भी धुन्द्लाने लगा है अब ताखायुल में
जिसमे तुझसे मिलने का भी एक मामूल शामिल था
I donno why I'am posting this! truly no reason behind ! just loved the piece of poetry and probably that's why its here.
मामूल - Routine
तखैयुल - Visualise
तखैयुल - Visualise
Poet : Gulzar
Story : Lovedale
Movie : Dus Kahaniyaan
Story : Lovedale
Movie : Dus Kahaniyaan
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