तू क्या जाने इन नम आँखों कि बात
अब तो बस होती है छुपछुपके बरसात
कई तस्वीरें याद आती हैं
यादों पे तैरते इन आँखों के किनारे लग जाती हैं
मैं उठता हूँ, एक एक तस्वीर बीनता हूँ
तू कब आयेगी ये सोचता हूँ
अब तो बहुत दिन बीते, अब तो आजा
पुरानी देखलीं बहुत, एक नयी तस्वीर दिखाजा
देख तो मेरा हाल कैसा है
कोरे कागज़ पे रखी खाली कलम सा है
ना कल का पता ना आज का
साथ है तो बस तेरी याद का
आंसुओं में अगर रंग होते, तो एक तस्वीर बनाता
अधूरे सपनों कि झलक तुझको भी दिखाता
वो दुनिया और है जहाँ तू है
मेरी हर पंक्ती में बस अब तू है
आजा ये घर फिर से बनायेंगे
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