ये दिमाग कभी कभी गर्म तवे सा लगता है
एक रोटी सिकते ही, अगली डालो वरना तपके जलने लगता है
दिल से क्या नाता इसका, जहाँ दिल एक शांत व्यक्ती
तो वहीँ ये एक जिद्दी बच्चे सा लगता है
दिल विचारों के तार बुनता
तो ये सही गलत कि गिनती करता
दिल तस्सल्ली कि धूप तलाशता
तो ये बेतुकी इच्छाओं के भवरे के पीछे भागता
दोनों का नज़रिया बिलकुल अलग है
एक को विचार तो दूसरे को तर्क कि गरज है
बस इसी मंथन से कुछ मोती
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