कैसे चीज़ों को नयी परिभाषा दूं
कैसे इस मन को नयी अभिलाषा दूं
कैसे कल की ना सोचूँ
कैसे नियति को होने से रोकूं
कैसे तेरे वो एहसान भुला दूं
कैसे मेरे वो नाम भुला दूं
कैसे तुझको अलग कर दूं
कैसे अपना ही जीवन व्यर्थ कर दूं
कैसे इन सबके जवाब ढूँढू कैसे.......
2 comments:
Lovely...
:)
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