बिछड़ने से ज़रा पहले बिछड़ने की ना कोई बात थी
बस एक सूनी रसोई और कमज़ोर सी एक आस थी,
अरमानों से छपे कुछ कार्ड थे एक बड़ा मौका था
और बेज़ुबान सी सबकी एक हार थी,
ख़ुद को धोखा देता बचपन था
और ढाढस बांधती तेरी ज़िम्मेदारी थी,
कई नातों का इम्तेहान था
एक तरफ़ तेरा तो एक तरफ़ मेरा भगवान था,
झूठ और सच का अंतर बेमायने था
सुन्न पड़ा एक दिमाग और जलता बुझता चिराज था,
डुबडुबाति आँखों में चमकती एक आस थी
हैरां था, खोके भी तुझको मेरी ही तलाश थी,
बड़ा तो था मेरा दर्द, लेकिन
तेरे मन के आगे हर चीज़ नादान थी
इस दुनिया से वो पहला साक्षात्कार था
चुप रहना क्या होता है यह जान वक़्त भी हैरान था
सबकी अपनी अपनी मजबूरी थी
हर शक़्स अपनी ज़मीन बचाने को तैयार था
मैंने भी कुछ खोया तो कुछ पाया था
बोला तो बहुत लेकिन हिसाब शायद ही कभी लगाया था,
पांच साल बीते आज मन में फ़िर वही सुगबुगाहट है
तेरे ख़त शायद पोहचेगे, राहों में कुछ ऐसी ही आहत है
बिछड़ने से ज़रा पहले बिछड़ने की ना कोई बात थी
बस एक सूनी रसोई और कमज़ोर सी एक आस थी।